डॉस का परिचय हिंदी में
डॉस का मतलब होता
है डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम यानी डिस्क के द्वारा चलाने वाला
ऑपरेटिंग सिस्टम |
डिस्क का काम होता है कोई भी डाटा (1,2,3,A,B,C,क,ख,ग) या इनफॉरमेशन(जानकारी ) को जमा करना | ऑपरेटिंग सिस्टम का मतलब है उपयोगकर्ता को पहली बार कंप्यूटर से टेक्स्ट मोड में मिलाना | डॉस में स्क्रीन हमेशा ब्लैक एंड व्हाइट मोड में आएगा, माउस काम नहीं करेगा, रंगीन नहीं लिखाएगा या कोई भी ग्राफिकल काम नहीं होगा साथ हिं लिखावट का आकार भी नहीं बढ़ेगा | डॉस में कोई भी काम करने के लिए निर्देश(कमांड) देना पड़ता है बिना निर्देश के यह कोई भी काम नहीं करता है अगर अपना नाम भी कंप्यूटर पर लिखना हो तो उसके लिए भी हमें कमांड का उपयोग करना होगा |
डॉस में कमांड दो प्रकार का होता है:-
Internal (अंदरुनी)
External (बाहरी)
इंटरनल कमांड रन कराने के लिए हमें अलग से किसी भी प्रकार के सपोर्टिंग
फाइल का जरूरत नहीं पड़ता है क्योंकि इंटरनल कमांड कंप्यूटर के मेमोरी में रहता है
लेकिन एक्सटर्नल का कोई भी कमांड रन कराने के लिए हमें अलग से सपोर्टिंग फाइल का
जरूरत पड़ता है क्योंकि सारा सपोर्टिंग फाइल डिस्क में रहता है | डॉस में कोई भी
कमांड कमांड प्रोम्प्ट(C:\Student>) के बगल में ही लिखेंगे | कमांड में अगर
किसी भी प्रकार के स्पेलिंग की गड़बड़ी होगी तो कमांड रन नहीं करेगा बैड कमांड और फाइल
नेम लिख देगा | सबसे जरूरी काम है कमांड रन कराने के लिए की कोई भी कमांड सही-सही
लिखने के बाद इंटर की जरूर दबाएंगे यदि इंटर की नहीं दबाए तो दिन भर बैठे रहने के
बाद भी कमांड रन नहीं करेगा डॉस का सबसे ज्यादा जरूरत हार्डवेयर यानी नए कंप्यूटर
को इंस्टॉल करने के लिए होता है अगर हम कोई नया कंप्यूटर लेते हैं तो वह बिल्कुल
खाली रहता है तो सबसे पहले डॉस के द्वारा ही कंप्यूटर को बूट किया जाता है | डॉस
के द्वारा ही पहली बार हार्ड डिस्क का पार्टीशन (हार्ड डिस्क को चार- पांच भागों
में बांटना) होता है | डॉस के द्वारा ही हार्ड डिस्क फॉरमैट होता है | हार्ड डिस्क
फॉर्मेट होने के बाद ही उसमे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम डाला जाता है |
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